कानपुर में जाजमऊ पुराना पुल कितना सुरक्षित?...CSIR की टीम ने की जांच, 15 दिन बाद आएगा फैसला
कानपुर, अमृत विचार। कानपुर-उन्नाव को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए गंगा पर बने जाजमऊ पुराने पुल की स्थिति खस्ताहाल है। दिल्ली से आई केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर) की टीम को प्राथमिक जांच में पुल की बेयरिंग के बाद 70 प्रतिशत पीयर क्षतिग्रस्त मिले हैं।
मंगलवार को टीम ने पुल की क्षमता का जायजा लेने के लिए फाउंडर हिस्से से कंक्रीट के नमूने लिए। आधा दर्जन बिंदुओं पर जांच के बाद टीम दिल्ली रवाना हो गई। अब 15 दिन बाद रिपोर्ट आने पर पुल का भविष्य तय किया जाएगा।
कानपुर-उन्नाव-लखनऊ को जोड़ने के लिए वर्ष 1974 में जाजमऊ पुल तैयार किया गया था। यह पुल अब बूढ़ा हो गया है। भारी वाहनों के आवागमन से पुल पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। जगह-जगह सरिया का जाल झांक रहा है।
किनारों पर मौजूद गड्ढों से पुल के नीचे बहती गंगा की धारा को देखा जा सकता है। इस पुल से रोज हजारों छोटे-बड़े वाहनों का आवागमन होता है। पुल की जांच का जिम्मा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने सीएसआईआर को सौंपा था। दो दिन पूर्व टीम ने शहर आकर पुल का निरीक्षण शुरू किया।
टीम ने पुल के हर कंपोनेंट की बारीकी से जांच की है। पुल की सुरक्षा पड़ताल में मोबाइल ब्रिज इंस्पेक्शन यूनिट शामिल रही। मंगलवार को सीएसआईआर की टीम ने नॉन डिस्ट्रक्टिव टेस्ट (गैर विनाशकारी परीक्षण) किया। टीम को प्राथमिक जांच में 70 प्रतिशत पीयर और कुछ गर्डरों में क्रैक मिला।
कंक्रीट की क्षमता परखने के लिए पुल के फाउंडर हिस्से से टीम ने कंक्रीट का नमूना जुटाया। टीम ने अल्ट्रासोनिक टेस्ट, रिवाइंड व हैमर टेस्ट के साथ विजुअल इंस्पेक्शन व ट्रैक मैपिंग भी की।
पुल की वर्तमान स्थिति की जांच के लिए सीएसआईआर की टीम को बुलाया गया था। प्राधिकरण समय-समय पर अपने पुलों की जांच कराता रहता है। टीम ने सभी प्रकार की जांचें कर नूमने एकत्र किए हैं। पुल पर भारी वाहनों के आवागमन पर रोक या पुल बंद करने की अभी कोई स्थिति नहीं है। 15 दिन बाद संस्था पुल की रिपोर्ट सौंपेगी, इसके बाद ही इस संबंध में कोई निर्णय लिया जाएगा। - अमन रोहिला, परियोजना निदेशक, एनएचएआई।