लखनऊ में 1300 शताब्दी में बना माता का अनोखा मंदिर, दर्शन मात्र से पूरी होती है सभी मनोकामनाएं

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचारः माता संदोहन देवी मंदिर चौपटियां क्षेत्र में स्थित है। मां सन्दोहन देवी भक्तों को साल के दोनों नवरात्र के पश्चात पड़ने वाली एकादशी के दिन संपूर्ण श्रृंगार में अपने श्री चरणों के भव्य दर्शन देती हैं। अन्य दिन मां के चरण ढके रहते हैं। मंदिर के पुजारी बताते है कि जो भक्त नौ दिन माता के विभिन्न स्वरूपों में दर्शन करता है उसकी मनोकामना चरण दर्शन करने से पूर्ण होती है।

वर्षों पुराना है इतिहास
मां संदोहन देवी मंदिर के मुख्य सेवादार अनूप वर्मा ने बताया कि जब मां के पिंडी रूप की कार्बन टेस्टिंग करायी गयी तो वह छठी शताब्दी की निकली। 1300वीं शताब्दी में एक संत को नवरात्र में नौ दिनों तक मां ने सपने में दर्शन दिए और पिंडी प्रतिमा तालाब से निकालने का आदेश दिया। एकादशी के दिन मां की पिंडी की स्थापना की गई। किंतु अगले दिन सुबह जब दर्शन के लिए सब आए तो उसी स्थान पर पिंडी लेटी हुई मिली। इसके बाद मां की इच्छानुसार पिंडी लेटी हुई मुद्रा में स्थापित कर दी गईं।

अलग-अलग तरह से होता है मां का श्रृंगार
नवरात्र के पहले दिन मां शेर पर सवार रहती हैं। दूसरे दिन मां कमल आसन पर विराजमान रहती हैं। तीसरे दिन मयूर पर, चौथे दिन गरुण पर वैष्णवी के रूप में मां दर्शन देती हैं। पांचवे दिन इंद्राणी के रूप में ऐरावत पर, छठे दिन अर्धनारीश्वर के रूप में बैल पर व सातवें दिन महिषासुर का वध करते हुए शेर सवार रहती हैं। अष्टमी और नवमी के दिन मां सिंघासन पर विराजमान रहती हैं। दसवें दिन मां मगरमच्छ पर सवार रहती हैं।

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