Prayagraj News : एएमयू को भविष्य में व्याख्याता पदों के लिए जारी विज्ञापन में सावधानी बरतने के निर्देश

Amrit Vichar, Prayagraj : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में व्याख्याता पदों के लिए जारी विज्ञापन में शब्दों के चयन को लेकर रजिस्ट्रार को निर्देश देते हुए कहा कि भविष्य में व्याख्याता पदों के लिए विज्ञापन जारी करते समय सावधानी और सटीकता बरतें और यह सुनिश्चित करें कि पात्रता मानदंडों के संबंध में कोई अस्पष्टता ना हो यानी शब्दों का चयन सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए और अस्पष्ट शब्दों जैसे संबंधित/प्रासंगिक/ संबंद्ध विषय के स्थान पर विश्वविद्यालय को योग्यता के बारे में स्पष्ट रूप से उल्लेख करना चाहिए, जिससे सभी पात्र उम्मीदवार विज्ञापन में भाग ले सकें।
उक्त निर्देश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने आमना खातून और दो अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया। कोर्ट ने याचियों द्वारा मांगी गई राहत के संबंध में कहा कि याचिका के लंबित रहने के दौरान यानी पिछले 5 वर्षों में विज्ञापित पद भरे जा चुके हैं, चूंकि अभ्यार्थियों के चयन को चुनौती नहीं दी गई है, इसलिए वर्तमान याचिका में मांगी गई राहत आधारहीन कही जा सकती है। दरअसल एएमयू में वर्ष 2019 और 2020 में लेक्चर (रसायन विज्ञान) पद पर विज्ञापन जारी किया गया, जिसमें संबंधित/ प्रासंगिक/संबंद्ध विषय में मास्टर डिग्री वाले उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किए गए। याचियों ने चयन प्रक्रिया में भाग लेने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में वर्तमान याचिका दाखिल की, जिसमें तर्क दिया गया कि विज्ञापन में संबंधित/प्रासंगिक/ संबंद्ध विषय जैसे शब्दों का प्रयोग अस्पष्ट है, इससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है कि औद्योगिक रसायन विज्ञान में एमएससी डिग्री धारक उम्मीदवार उक्त पद के लिए योग्य होंगे या नहीं। याचियों की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याची औद्योगिक रसायन विज्ञान में एमएससी डिग्री प्राप्त हैं, जो संबंद्ध विषय के रूप में मान्य हो सकती है। अतः वे विश्वविद्यालय द्वारा विज्ञापित पद के लिए पात्र होंगे।
हालांकि एएमयू ने वर्ष 2019 में एक शुद्धिपत्र प्रकाशित किया था, जिसमें औद्योगिक रसायन विज्ञान में एमएससी को रसायन विज्ञान में एमएससी के बराबर नहीं माना गया और वर्ष 2021 में हुई बैठक में यह निर्धारित किया गया कि औद्योगिक रसायन विज्ञान में एमएससी पॉलिटेक्निक के पदों के लिए एक संबंद्ध विषय हो सकता है, लेकिन मुख्य विषय (रसायन विज्ञान) के लिए इसे संबंद्ध विषय के रूप में मानता नहीं दी जा सकती है। विश्वविद्यालय के उक्त निर्णय को विरोधाभासी तथा मनमाना माना गया, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद सोहराब खान बनाम अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और अन्य मामले में माना था कि औद्योगिक रसायन विज्ञान में मास्टर डिग्री रसायन विज्ञान के व्याख्याता पद हेतु उस स्थिति में सीधे उपयुक्त नहीं मानी जा सकती है, जब तक कि विज्ञापन में स्पष्ट रूप से इसे अमान्य न कहा गया हो। सुप्रीम कोर्ट के उक्त आदेश और याचियों के अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के बाद कोर्ट ने एएमयू को भविष्य में भर्ती विज्ञापनों को जारी करने में सावधानी बरतने का निर्देश दिया।
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