श्रमजीवी एक्सप्रेस विस्फोट कांड के मृतक आश्रितों को आज भी है नौकरी का इंतजार, तत्कालीन रेलमंत्री ने किया था वादा

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Published By Deepak Mishra
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जौनपुर। आज से 20 साल पहले श्रमजीवी एक्सप्रेस पर हुए आतंकवादी हमले के सभी आरोपी आतंकवादी अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आये हैं। तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव के आश्वासन के बावजूद इस हादसे में मरने वालों के परिजन अब भी रेलवे में नौकरी मिलने की बाट जोह रहे हैं।

श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में हुए बम विस्फोट की 28 जुलाई को 20 वीं बरसी है और जिले के तत्कालीन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश बुधिराम यादव ने इस मामले में दो आरोपी आतंकवादियों क्रमशः आलमगीर उर्फ रोनी को 30 जुलाई 2016 और ओबेदुर्रहमान उर्फ बाबू भाई को 31 अगस्त 2016 को फांसी की सजा और 10 -10 लाख रुपये जुर्माना की सजा दी है।

बाकी दो आरोपी आतंकवादियों नफीकुल विश्वास व हिलालुद्दीन उर्फ हिलाल के मामले में सुनवाई के बाद जिले के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (प्रथम) राजेश कुमार राय ने 3 जनवरी 2024 को दोनों को मृत्युदंड एवं 5-5 लाख रुपये जुर्माना से दण्डित किया है।

28 जुलाई 2005 को पटना से चलकर नई दिल्ली जाने वाली श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रैन के सामान्य डिब्बे में जौनपुर जिले के हरपालगंज (सिंगरामउ) व कोइरीपुर (सुल्तानपुर) रेलवे स्टेशनो के बीच हरिहरपुर रेलवे क्रासिंग पर हुये विस्फोट में 14 लोग मारे गये थे और कम से कम 90 लोग घायल हो गये थे। 

बम विस्फोट के पीछे आतंकवादी ओबैदुर्रहमान उर्फ बाबूभाई (बंगलादेश्) नफीकुल विशवास (मुर्शीदाबाद), सोहाग खान उर्फ हिलाल उर्फ हिलालुद्दीन (बंगलादेश ), मोहम्मद आलमगिर उर्फ रोनी (बंगलादेश्), डाक्टर सईद और गुलाम राजदानी का हाथ होने के बारे में पता चला। इसमें से डाक्टर सईद का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है जबकि एक आरोपी गुलाम राजदानी उर्फ याहिया को मुठभेड़ में मारा जा चुका है। इस घटना को अंजाम देने की योजना राजशाही बांग्लादेश में बनी थी।

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