“डायरी के पन्ने मत फाड़ना, मेरी मौत का हिसाब लिखा है…”झूठी शान, रीति-रिवाज और बेजान रिश्ते
एक बहन की आखिरी चीख... एक भाई की चुप सहमति... और पिता-सौतेली मां पर उठते सवाल
गाजियाबाद, अमृत विचार : मां, आपकी चालबाज़ी और चतुराई से वाक़िफ हूं... डायरी के पन्ने मत फाड़ना, तस्वीरें सबको भेज दी हैं...”“पापा, बच्चों को जन्म देने से नहीं, उन्हें समझने से रिश्ता बनता है...” ऐसे शब्द उस 22-पन्नों की डायरी में दर्ज हैं जो अब गाजियाबाद के आत्महत्या कांड की सबसे अहम गवाही बन गई है। अंजलि और अविनाश, दो भाई-बहन, एक ही छत के नीचे जिए... और एक ही ज़हर को साथ खाकर मर गए।
जहरीली चुप्पी के पीछे की ज़िंदा कहानी : 31 जुलाई की शाम, गोविंदपुरम में रहने वाले दोनों भाई-बहन ने साथ बैठकर ज़हर खा लिया। अंजलि की मौत पहले हुई, और उसके 14 मिनट बाद अविनाश ने दम तोड़ दिया। पहली नज़र में मामला सुसाइड लग रहा था , लेकिन पुलिस को न सुसाइड नोट मिला, न साक्ष्य। पर एक दिन बाद जब कमरे की तलाशी हुई, तब जो डायरी मिली उसने सबकुछ बदल दिया।
22 पेज, जिनमें भरा था 16 साल का दर्द : अंजलि ने आत्महत्या से पहले 22 पेज का सुसाइड नोट लिखा था, जिसमें उसने पिता सुखवीर सिंह और सौतेली मां रितु को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया। उसने साफ कहा कि, “मेरे शव को मत छूना... मुखाग्नि सिर्फ महिम देगा। मेरी चिता को कोई झूठा आंसू न दे।”
झूठी शान, रीति-रिवाज और बेजान रिश्ते : अंजलि ने लिखा कि उसकी शादी जबरन तय की जा रही थी। विरोध करने पर उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। उसके चरित्र पर सवाल उठाए गए, पिता चुप रहे और सौतेली मां ने उसके भाई को भी तिरस्कृत किया। “अगर मैं अकेली मरती, तो समाज मेरे चरित्र पर ऊंगली उठाता। इसलिए हम दोनों जा रहे हैं...”
एक दोस्त, जो ‘परिवार’ बन गया : इस सुसाइड नोट में महिम, उसका करीबी दोस्त, बार-बार ज़िक्र में आता है। अंजलि ने लिखा कि “बस तू ही था जिसने समझा... मेरे खाते की सारी रकम, मेरी पॉलिसी और गिफ्ट्स तेरे नाम हैं। तुम मेरी चिता को आग देना...” रिश्तेदारों के अनुसार, अंजलि ग्राफिक डिज़ाइन में इनर्टनशिप कर चुकी थी और नोएडा की एक प्रतिष्ठित कंपनी में टीम लीडर के रूप में कार्यरत थी।
मौत के बाद उठे सवाल, और बिखरे रिश्ते : पुलिस ने पहले परिजनों के इंकार के कारण कार्रवाई नहीं की, लेकिन सुसाइड नोट सामने आने के बाद अब मामला नया मोड़ ले चुका है। डीसीपी सिटी धवल जायसवाल के अनुसार, “सुसाइड नोट मिला है, जिसमें पिता और सौतेली मां को जिम्मेदार बताया गया है। जांच की जा रही है, वैधानिक कार्रवाई होगी।” हालांकि, इस घटना ने समाज को फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है, क्या सौतेले रिश्ते हमेशा क्रूर होते हैं? क्या एक पढ़ी-लिखी लड़की का फैसला, उसकी आत्मा की पुकार किसी को नहीं सुनाई देती? क्या एक ‘सही समय पर दिया गया साथ’ किसी की ज़िंदगी बचा सकता था?
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