निपुण भारत मिशन: शिक्षा ही नहीं खेलकूद और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के भी केन्द्र बने स्कूल, 88,500 छात्रों को मिला वैज्ञानिक एक्सपोजर
लखनऊ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था नए आयाम गढ़ रही है। राज्य सरकार के प्रयासों ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में नई ऊर्जा और दिशा दी है। जहां पहले विद्यालय केवल पढ़ाई तक सीमित थे, वहीं अब वे डिजिटल नवाचार, विज्ञान, खेलकूद और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के केंद्र बन गए हैं। सरकार का लक्ष्य वर्ष 2026-27 तक प्राथमिक स्तर पर सार्वभौमिक साक्षरता और संख्या ज्ञान सुनिश्चित करना है। अब तक 48,061 विद्यालय निपुण विद्यालय घोषित किए जा चुके हैं।
यह पहले की स्थिति से बिल्कुल अलग तस्वीर है, जब बच्चों की नींव कमजोर रह जाती थी। यही नहीं, 2017 के बाद अब तक 4.33 लाख शिक्षकों और शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण दिया गया है। 2.61 लाख शिक्षकों को टैबलेट वितरित किए गए हैं। साथ ही गणित किट, टीएलएम, बिग बुक्स, संदर्शिका और शिक्षक डायरी उपलब्ध कराई गई है, जिससे कक्षा-शिक्षण अधिक प्रभावी हुआ है।
पहले ज्यादातर विद्यालयों में ब्लैकबोर्ड ही शिक्षा का एकमात्र माध्यम था। आज प्रदेश के 25,790 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास स्थापित हो चुकी हैं। 4,688 विद्यालयों में आईसीटी लैब्स, 880 विकासखंडों में आईसीटी लेब्स और पीएम श्री योजना के तहत 1,129 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास व डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित की गई हैं। इतना ही नहीं, लखनऊ में 10 करोड़ रु. की लागत से डिजिटल स्टूडियो बना है और विद्या समीक्षा केंद्र से डेटा आधारित मॉनिटरिंग की जा रही है।
छात्रों को इमरी, बार्क, अहमदाबाद जैसे संस्थानों का भ्रमण करायाएंगे
पीएम श्री विद्यालय में राष्ट्रीय आविष्कार अभियान के तहत अब तक 88,500 विद्यार्थियों का एक्सपोजर विजिट कराया गया है। 2025-26 में 150 मेधावी छात्रों को इमरी, बार्क, अहमदाबाद और गांधीनगर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों का भ्रमण कराया जाएगा। सभी 10 मंडलों में साइंस पार्क भी स्थापित हो रहे हैं।
इको क्लब और हरित पहल
सभी विद्यालयों में इको क्लब बनाए गए हैं। एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत 27 लाख पौधे लगाए जा चुके हैं। पहले माध्यमिक विद्यालयों में प्रयोगात्मक शिक्षा का अभाव था। अब यहाँ गणित किट, खोजी बॉक्स, टीएलएम प्रदर्शनी, शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रम और उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था की गई है।
