ओटीएस योजना समयबद्ध, उधारकर्ता द्वारा समय विस्तार की मांग अनुचित: हाईकोर्ट

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Published By Deepak Mishra
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बैंकों की ओटीएस योजना को स्पष्ट करते हुए बताया कि प्रत्येक एकमुश्त निपटान (ओटीएस) योजना समयबद्ध होती है और उधारकर्ता को निर्धारित अवधि से आगे विस्तार मांगने का कोई अधिकार नहीं है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की खंडपीठ ने मेसर्स जाहरवीर महाराज एग्रो प्राइवेट लिमिटेड की याचिका खारिज करते हुए पारित किया।

मामले के अनुसार याची पीएनबी की एसओटीएस योजना 2022-23 के तहत तय 180 दिनों की समयसीमा का पालन करने में विफल रहे। कोर्ट ने माना कि बैंक ने कई बार लिखित रूप से भुगतान का अवसर दिया, लेकिन इसके बावजूद किश्तें समय पर नहीं चुकाई गईं। परिणामस्वरूप अप्रैल 2024 में बैंक ने ओटीएस रद्द कर दिया और दिसंबर 2024 से बंधक संपत्तियों की नीलामी शुरू की।

27 जनवरी 2025 को एक संपत्ति की बिक्री और 2 फरवरी 2025 को बिक्री प्रमाण पत्र जारी होने के बाद तीसरे पक्ष के अधिकार भी स्थापित हो चुके थे। अंत में कोर्ट ने माना कि बैंक की कार्रवाई सद्भावनापूर्ण और कानूनसम्मत थी और इसमें हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है। अतः कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ओटीएस समझौते की अवधि बढ़ाने की कोई बाध्यता बैंक पर नहीं डाली जा सकती।

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