तमिलनाडु की ‘अम्मा’ से मिली थी प्रेरणा, अयोध्या में जमीन पर नहीं उतरी अन्नपूर्णा योजना

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अयोध्या। तमिलनाडु में अम्मा कैंटीन की तर्ज पर सूबे में निर्धन वर्ग के लिए शुरू की गई अति महत्वाकांक्षी अन्नपूर्णा योजना के दावे यहां तार-तार हो गए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 2019-20 में शुरू की गई इस योजना को लेकर जिला प्रशासन के अफसरों तक को कोई जानकारी नहीं है, जिनके लिए शुरू की गई …

अयोध्या। तमिलनाडु में अम्मा कैंटीन की तर्ज पर सूबे में निर्धन वर्ग के लिए शुरू की गई अति महत्वाकांक्षी अन्नपूर्णा योजना के दावे यहां तार-तार हो गए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 2019-20 में शुरू की गई इस योजना को लेकर जिला प्रशासन के अफसरों तक को कोई जानकारी नहीं है, जिनके लिए शुरू की गई उनकी बात तो दीगर है। अमृत विचार की ओर से की गई पड़ताल में सामने आया है कि योजना को लेकर जवाबदेही किन विभागों की है यह ही तय नहीं है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी से लेकर निगम के अपर आयुक्त और श्रम विभाग के अफसर तक योजना के बारे में एबीसीडी तक नहीं बता सके। यह हाल तब है जब इस योजना का प्रारूप खुद मुख्यमंत्री के दिशानिर्देशों के अनुसार तैयार किए जाने की बात सामने आई थी।
सूबे के नगर निगमों और नगर पालिका क्षेत्रों में संचालित होने वाली इस योजना का ऐलान मुख्यमंत्री द्वारा 2020 में किया गया था, लेकिन इसका प्रारूप 2021 में बन कर तैयार हुआ। योजना के तहत मजदूर, श्रमिकों और रिक्शा चालकों को न्यूनतम दर पर भोजन उपलब्ध कराना था।

सरकार की ओर से तैयार प्रारूप के अनुसार गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से करीब 150 करोड़ रुपए का बजट भी निर्धारित किया गया था। प्रारूप के अनुसार करीब 275 से अधिक भोजनालय राज्य के प्रमुख शहरों में खोले जाने थे, जिनमें अयोध्या भी शामिल था। यहां योजना के तहत पंजीकृत श्रमिकों की संख्या सौ निर्धारित की गई थी, लेकिन शुक्रवार को जब श्रम विभाग से जानकारी हासिल करने का प्रयास किया गया तो जिम्मेदार अधिकारी मुंह खोलने को तैयार नहीं हुए। कर्मचारियों ने बताया कि सम्बन्धित योजना को लेकर अभी यहां श्रमिकों का कोई पंजीकरण नहीं है। अन्य योजनाओं में तो श्रमिक पंजीकृत है लेकिन अन्नपूर्णा योजना में नहीं।

तीन रुपये में नाश्ता और 5 रुपये में था दोपहर का भोजन

सरकार की ओर से बाकायदा इसके लिए तैयार प्रारूप में स्पष्ट उल्लेख है कि अन्नपूर्णा योजना भोजनालय के तहत उत्तर भारतीय से क्षेत्रीय आधारित खाध पदार्थ नाश्ते और दोपहर के भोजन के लिए लाभार्थियों को पेश किए जाएंगे। इस योजना के अंतर्गत तीन रुपये में नाश्ता और पांच रुपए में दोपहर के भोजन की घोषणा की गई थी। इसके लिए सरकार की ओर से अन्नपूर्णा पोर्टल भी लांच किया गया था। शुक्रवार को जब इस पोर्टल को खंगाला गया तो योजना की घोषणा और योजना का प्रारूप और निर्धारित मेन्यू ही अपलोड दिखाई दे रहा है।

पोर्टल में अभी एक साल गुजर जाने के बाद भी यह अपडेट नहीं मिली कि अब तक अन्नपूर्णा योजना के अंतर्गत कितने लोगों को लाभ मिल चुका है और वर्तमान में चयनित शहरों में संचालित इस योजना में क्या प्रगति है। इसके अलावा अन्नपूर्णा भंडार खोले जाने की योजना भी खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा लागू की गई थी,जिसके तहत कोटे की दुकानों पर उच्च गुणवत्ता की मल्टी ब्रांडेड उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति की जानी थी। यह योजना भी यहां कोटे की दुकानों से नदारद है।

जानें क्या है अन्नपूर्णा योजना

इस योजना के तहत सरकार गरीब तबके-नौकरी पेशा लोगों को 3 रुपये में नाश्ता, 5 रुपये में खाना मुहैया कराना था। योजना को राज्य के सभी 14 नगर निगमों में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप में शुरू किया जाना था। जिसका कुल खर्च 153.59 करोड़ रुपये बजट में निर्धारित किया गया था।

खर्च होंगे सिर्फ 13 रुपये: योजना के तहत नाश्ते, लंच और डिनर करने में कुल 13 रुपये खर्च होने थे। जबकि कुल खर्च करीब 48 रुपये तय किया गया था , जिसमें से 13 रुपये नाश्ता करने वाला भरेगा।बाकी 35 रुपये सरकार और कैंटीन चलाने वाला मिलकर चुकायेंगे।

यह बनाया गया था मेन्यू : सरकार इस योजना के तहत नाश्ते में नमकीन दलिया और चाय, चना और चाय, दो कचौड़ी, खस्ता, समोसा, चटनी और चाय,दो इडली, सांभर और चाय, ब्रेड पकोड़ा, बंद मक्खन और चाय। इसके साथ ही पोहा और चाय में से कुछ एक। लंच और डिनर में 6 रोटी, मौसमी सब्जी या अरहर दाल-चावल के साथ प्याज/अचार, वेज बिरयानी लंच या डिनर में दिए जाने का प्रावधान था।

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