बरेली: जनसेवा केंद्र के संचालक कर रहे मनमानी, 120 रुपये फीस…400 में बना रहे हैसियत

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बरेली/अनुपम सिंह, अमृत विचार। दोपहर के 1:25 बज रहे थे। सदर तहसील गेट के बिल्कुल करीब में खुले जनसेवा केंद्र पर बाहर काउंटर पर एक युवक बैठा था। अंदर एक शख्स कंप्यूटर पर काम कर रहा था। हैसियत प्रमाण पत्र बनवाने के लिए हम भी उनके पास पहुंचे। देखते ही बोले बताइए ? हैसियत प्रमाण …

बरेली/अनुपम सिंह, अमृत विचार। दोपहर के 1:25 बज रहे थे। सदर तहसील गेट के बिल्कुल करीब में खुले जनसेवा केंद्र पर बाहर काउंटर पर एक युवक बैठा था। अंदर एक शख्स कंप्यूटर पर काम कर रहा था। हैसियत प्रमाण पत्र बनवाने के लिए हम भी उनके पास पहुंचे। देखते ही बोले बताइए ? हैसियत प्रमाण पत्र बनवाना है।

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सुनकर कुर्सी पर बैठे व्यक्ति ने इसके लिए जरूरी दस्तावेज मांगे, फिर बात रुपये पर आई। फीस 350 रुपये बताई। कुछ गुंजाइश की बात करने पर कहा चलो 50 रुपये कम दे दो। कुछ और रियायत। सिर हिलाते हुए जवाब न में मिला। कहा, इससे कम नहीं। इतना कहते हुए उस शख्स ने किसी को (शायद दुकान संचालक) को कॉल कर दी। रिसीव होते ही आवाज स्पीकर पर डालते हुए मोबाइल हमें पकड़ा दिया।

हैलो करते ही बोले 400 में बनाते हैं…350 लगेंगे। 300 मांगने की बात कहने पर बोले ठीक है बहुत सही बताया, इससे कम हो ही नहीं सकता। काॅल डिस्कनेक्ट होने के बाद दुकान पर बैठे शख्स से पूछा कि सरकारी रेट 120 रुपये है तो 300 से 400 रुपये क्यों लिए जा रहे हैं ? बोले कि इतनी मेहनत करते हैं। कागज लगते हैं। दिमाग लगता है, अगर इतना मुनाफा नहीं मिले तो लागत कहां से निकलेगी, 10 मिनट तक हुई बातचीत के बाद हम यहां से बमुश्किल 20 कदम आगे बढ़े।

निबंधन दफ्तर को जाने वाली सड़क के पास जनसेवा केंद्र की दुकान पर पहुंचे। यहां पर हैसियत प्रमाण पत्र का फार्म ऑनलाइन कराने के लिए 300 रुपये बताए। बहुत कहने पर दुकान स्वामी 270 पर आ गया, फिर बोले इससे एक रुपया कम नहीं होगा।

कलेक्ट्रेट गेट के पास खुले और जनसेवा केंद्रों की हकीकत परखी गई। कमोबेश स्थित यहां भी जस की तस मिली। सरकारी योजनाओं के फार्म ऑनलाइन आवेदन कराने के नाम पर लोगों से तीन से चार गुना की जा रही वसूली को लेकर यह चंद मामले तो बानगी भर हैं।

जबकि हकीकत यह है कि शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में संचालित जनसेवा केंद्रों पर संचालक लोगों की जेब पर खुलेआम डाका डाल रहे हैं, कागज, दिमाग, मेहनत का तर्क देकर तय रेट से अधिक की वसूली कर रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी अफसर बेफिक्र हैं। यही वजह है लोगों को आर्थिक चोट पहुंचाने का सिलसिला जारी है।

योजना और फार्म एक…रेट अलग-अलग
सामाजिक सरोकारों की भूमिका का निर्वहन करते हुए अमृत विचार की टीम लोगों को जागरूक करने की मंशा से इस अभियान को चला रही है। जनसेवा केंद्रों पर की गई तहकीकात में चौंकाने वाली बात निकलकर सामने आई है, जो यह है कि एक ही योजना का फार्म भरवाने के लिए लोगों को अलग-अलग कीमत चुकानी पड़ रही है। ऐसा तब है जब प्रक्रिया वही है, शहर वही है। योजना वही है, लेकिन अगर कुछ बदलता है तो वह चेहरे होते हैं और जनसेवा केंद्र।

कलेक्ट्रेट और तहसील के इर्द-गिर्द लूट का ”खेल”
योजना के तहत जिले में सहज और केएनडी कंपनी की ओर से जनसेवा केंद्र के संचालन के लिए लाइसेंस दिए जाते हैं, जिसमें संचालकों को इसकी अहर्ताओं को पूरा करना होता है। सभी केंद्रों के लिए रेट समान होते हैं, लेकिन इसके बाद भी संचालक मनमानी पर उतारू हैं। वह इतने बेखौफ हैं कि कलेक्ट्रेट और सदर तहसील के चंद कदमों की दूरी पर ऐसा कर रहे हैं। हैरानी की बात है कि अफसरों को भनक नहीं है।

जनसेवा केंद्रों से अधिक वसूली की शिकायत हमारे संज्ञान में नहीं आई है। अगर किसी से ज्यादा रुपये लिए जा रहे हैं तो वह मेरे ऑफिस आकर अपनी समस्या बता सकता है। जांच कराई जाएगी। लोग आईजीआरएस पर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैंऋतु पूनिया, एडीएम प्रशासन।

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