आखिर कैसे रुकेगी स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटरों की ‘तेज चाल’

Amrit Vichar Network
Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार। प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं के आवासों पर लगाये जा रहे स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटरों की ‘तेज चाल’ कैसे नियंत्रित होगी। उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन की कार्यशैली पर यह सवाल उठाते हुए आंकड़े जारी किया। परिषद ने कहा कि ऊर्जा मंत्रालय के निर्देश के तहत चेक मीटर से स्मार्ट मीटर की रीडिंग का मिलान नहीं किया जा रहा है।

जारी आंकड़ों के अनुसार पूरे उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन में 32 लाख 46,927 स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए गए। इसमें 1 लाख 50,539 चेक मीटर लगभग 4.64 प्रतिशत चेक मीटर लगाये गए हैं, जो निर्धारित 5 प्रतिशत लक्ष्य से कम है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में 11 लाख 29,442 स्मार्ट मीटर, 65,026 चेक मीटर यानी 5.76 प्रतिशत, मध्यांचल निगम में कुल 7 लाख 11,472 स्मार्ट प्रीपेड मीटर, लगभग 43,578 चेक मीटर लगभग 6.13 प्रतिशत, दक्षिणांचल निगम में 7 लाख 45,916 स्मार्ट प्रीपेड मीटर, 29,260 चेक मीटर लगभग 3.92 प्रतिशत, केस्को कानपुर में लगभग 31,660 स्मार्ट प्रीपेड मीटर, चेक मीटर लगभग 1892 यानी 5.98 प्रतिशत व पश्चिमांचल निगम में 6 लाख 28 हजार 437 स्मार्ट प्रीपेड मीटर, केवल 10,783 चेक मीटर यानी 1.87 प्रतिशत चेक मीटर लगाये गए हैं। प्रदेश में बड़े पैमाने पर स्मार्ट मीटरों के तेज चलने की शिकायतें आ रही हैं, पर इसका मिलान नहीं किया जा रहा है।

निजी घरानों को लाभ देने की है स्मार्ट प्रीपेड मीटर परियोजना-अवधेश वर्मा

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर पूरी परियोजना भविष्य में निजीकरण के बाद निजी घरानो को बड़ा लाभ देने के लिए तैयार की गई है। इसी का नतीजा है कि प्रदेश में 18,885 करोड़ की योजना केंद्र सरकार ने अनुमोदित की, पर टेंडर 27,342 करोड़ यानी लगभग 9000 करोड़ अधिक दरों पर दिया गया। ऊर्जा मंत्रालय के निर्देश के तहत एक मीटर की लागत पूरे सिस्टम समेत 6000 रुपये प्रति मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, पर बिजली कंपनियों ने 8000 रुपये प्रति मीटर तक टेंडर प्रक्रिया पूरी की।

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