संस्कृत और विज्ञान में पारंगत छात्रों को करना होगा तैयार, लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में आयोजित हुआ कार्यक्रम

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार: हमारे वेद-वेदांत में विज्ञान के अनेक सूत्र छिपे हुए हैं लेकिन विज्ञान को जानने वाले संस्कृत नहीं जानते अथवा संस्कृत के छात्र विज्ञान से अनभिज्ञ हैं। अब हमे से छात्र तैयार करने होंगे जो विज्ञान के साथ संस्कृत भाषा में भी पारंगत हों। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पूर्व संकाय अध्यक्ष प्रो. उमरानी त्रिपाठी ने लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में आयोजित कार्यक्रम में यह कहा। उन्होंने आधुनिक समय में संस्कृत अध्ययन की आवश्यकता विषय पर सारगर्भित वक्तव्य प्रस्तुत किया।

प्रो. त्रिपाठी ने अपने व्याख्यान में कहा कि विज्ञान के प्रत्येक क्षेत्र से संबंधित शास्त्र संस्कृत में उपलब्ध हैं, किंतु वर्तमान समय में विज्ञान व संस्कृत दोनों में पारंगत व्यक्तियों की संख्या अत्यल्प है। यदि कोई व्यक्ति इन दोनों क्षेत्रों का ज्ञान रखता है, तो वह समाज के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकता है। उन्होंने संस्कृत को देववाणी कहे जाने के कारणों को भी अत्यंत सुंदर एवं प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. अभिमन्यु सिंह ने की जिन्होंने सभी अतिथियों का ससम्मान स्वागत किया। इस व्याख्यान सभा में महिला महाविद्यालय, अमीनाबाद की संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. ऋतु सिंह, राजकीय महाविद्यालय, लखीमपुर खीरी के अध्यापक डॉ. सूर्य प्रकाश शुक्ल, तथा विभाग के समस्त अध्यापकगण उपस्थित रहे। विशेष रूप से श्रावणी उपाकर्म के अवसर पर छात्रों द्वारा सभी गुरुओं का सादर सम्मान किया गया, जिससे गुरु-शिष्य परंपरा की गरिमा और श्रद्धा का भाव उजागर हुआ। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. अशोक कुमार शतपथी रहे। डॉ. गौरव सिंह ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

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