हल्दी है सेहत का खजाना... बीएचयू शोधकर्ताओं और खाद्य विज्ञान को मिली बड़ी सफलता, शरीर को शक्ति प्रदान करने के लिए खोजा ये तरीका 

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Published By Anjali Singh
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वाराणसी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के शोधकर्ताओं ने बीआर अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय और महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के साथ मिलकर खाद्य विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल की है। शोध दल ने हल्दी के रिसर्च-प्रमाणित शहल्दी है सेहत का खजाना...बीएचयू शोधकर्ताओं और खाद्य विज्ञान को मिली बड़ी सफलता, शरीर को शक्ति प्रदान करने के लिए खोजा ये तरीका 

वाराणसी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के शोधकर्ताओं ने बीआर अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय और महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के साथ मिलकर खाद्य विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल की है। शोध दल ने हल्दी के क्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और सूजन-रोधी गुणों के लिए जाने जाने वाले सक्रिय प्राकृतिक यौगिक करक्यूमिन की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए एक नया, पर्यावरण-अनुकूल तरीका विकसित किया है। 

रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री, यूके द्वारा प्रकाशित शीर्ष क्यू1 अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'सस्टेनेबल फूड टेक्नोलॉजी' (आईएफ 5.3) में प्रकाशित यह अग्रणी कार्य प्रोटीन-आधारित आवरण प्रणाली का वर्णन करता है। यह प्रणाली करक्यूमिन की घुलनशीलता, स्थिरता और जैवउपलब्धता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने के लिए डिज़ाइन की गई है। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति और बीएचयू के वरिष्ठ प्रोफेसर प्रो. दिनेश चंद्र राय के मार्गदर्शन में किए गए इस शोध का नेतृत्व डॉ. सुनील मीणा और प्रो. राज कुमार डुआरी ने किया, जिसमें नवनीत राज, शिवांश सुमन, कमलेश कुमार मीना और शुभम मिश्रा ने योगदान दिया। 

टीम ने करक्यूमिन की सुरक्षा और वितरण के लिए डेयरी प्रोटीन और प्लांट-आधारित प्रोटीन (सोया और मटर) दोनों की तुलना की। उनके परिणामों से पता चला कि व्हे प्रोटीन ने सबसे स्थिर सुरक्षा प्रदान की, जबकि मटर प्रोटीन बेहतर एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि के साथ एक अत्यंत प्रभावी, हरित विकल्प साबित हुआ। कुलपति प्रो. राय ने इस खोज के स्वास्थ्य और पर्यावरण लाभों पर कहा, "यह शोध सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल उत्पादित होने वाले फंक्शनल फूड बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। 

इस नई प्रोटीन-आधारित प्रणाली के माध्यम से करक्यूमिन की प्राकृतिक शक्ति का कुशलतापूर्वक उपयोग करके हम बेहतर, पर्यावरण-अनुकूल पोषक उत्पादों के लिए मंच तैयार कर रहे हैं। प्लांट प्रोटीन, खासकर मटर प्रोटीन की क्षमता पर मिली सफलता मानव स्वास्थ्य की वैश्विक चिंताओं को दूर करती है और कृत्रिम रसायनों पर निर्भरता कम करके टिकाऊ खाद्य उत्पादन प्रणालियों का समर्थन करती है।" शोध के व्यापक दृष्टिकोण पर प्रो. राय ने कहा, टिकाऊ खाद्य प्रौद्योगिकी सिर्फ एक ट्रेंड नहीं है। यह वैश्विक पोषण का भविष्य है। यह आने वाली पीढ़ियों के लिए खाद्य सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। 

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